चंडीगढ़ में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सीएक्यूएम ने की बैठक

चंडीगढ़ में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सीएक्यूएम ने की बैठक

नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। चंडीगढ़ में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सक्रिय कदम उठाए हैं। इसके लिए चंडीगढ़ में पंजाब सरकार के साथ उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें कई फैसले लिए गए।

सीएक्यूएम के अध्यक्ष राजेश वर्मा की अध्यक्षता में पंजाब में फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) को मजबूत बनाने और पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए जमीनी स्तर पर गतिविधियों का आकलन करने हेतु क्षेत्रीय दौरे आयोजित किए गए।

इन दौरों के दौरान आयोग ने पटियाला जिले के राजपुरा थर्मल पावर प्लांट, संगरूर जिले के लहरागागा में कंप्रेस्ड बायो-गैस (सीबीजी) प्लांट, मशीनों से पराली प्रबंधन की प्रक्रिया तथा बठिंडा जिले के लहरा मोहब्बत थर्मल पावर प्लांट का निरीक्षण किया।

लहरा मोहब्बत प्लांट के निरीक्षण में अध्यक्ष ने प्लांट की खराब परिचालन स्थिति और निर्धारित उत्सर्जन मानदंडों का पालन न करने पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तत्काल सुधार नहीं किए गए, तो आयोग प्लांट बंद करने के आदेश जारी करने को बाध्य होगा।

टीम को पराली जलाने की कुछ छिटपुट घटनाएं भी दिखीं, जो समस्या की जटिलता दर्शाती हैं। 15 सितंबर से 6 नवंबर 2025 तक पंजाब में पराली जलाने की 3,284 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले वर्ष 2024 में इसी अवधि में 5,041 घटनाएं हुई थीं। यह मामूली सुधार तो दर्शाता है, लेकिन मुक्तसर और फाजिल्का जैसे जिलों में घटनाओं में वृद्धि चिंताजनक है।

आयोग ने पाया कि सितंबर 2025 तक चार थर्मल पावर प्लांट (पीएसपीसीएल के लहरा और रोपड़, टीएसपीएल-मानसा तथा एनपीएल-एलएंडटी) ने मात्र 3.12 लाख मीट्रिक टन फसल अवशेष पेलेट का सह-दहन किया, जबकि 2025-26 के लिए 11.83 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य था।

आयोग ने कहा कि पंजाब में पराली जलाने की समस्या को समाप्त करने के लिए अभी बहुत कार्य बाकी है। इसके बाद अध्यक्ष ने तत्काल प्रयास तेज करने, सशक्त जागरूकता अभियान चलाने, सीआरएम मशीनरी की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा सीबीजी संयंत्रों और उद्योगों को सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए।

वहीं, इसके साथ ही वायु प्रदूषण रोकने के लिए हरियाणा की कार्रवाइयों की समीक्षा में भी शनिवार को चंडीगढ़ में विस्तृत बैठक हुई। 15 सितंबर से 6 नवंबर 2025 तक हरियाणा में मात्र 206 घटनाएं दर्ज हुईं, जबकि 2024 में 888 थीं। यह कमी प्रोत्साहन-आधारित और प्रवर्तन-संचालित दृष्टिकोण का परिणाम है। वित्तीय प्रोत्साहनों से किसानों के व्यवहार में बड़ा बदलाव आया है।

आयोग ने जोर दिया कि ठोस प्रयासों से पराली जलाने को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है। इसके अलावा, आयोग ने हरियाणा में वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक स्रोत, निर्माण धूल, सड़क धूल तथा नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे अन्य प्रदूषण स्रोतों की समीक्षा की और इनके न्यूनीकरण के लिए कार्रवाई के निर्देश दिए।

आयोग ने क्षेत्र में स्थायी फसल अवशेष प्रबंधन और स्वच्छ वायु के लिए बेहतर समन्वय, कार्य योजनाओं का लक्षित क्रियान्वयन तथा वैधानिक निर्देशों के सख्त प्रवर्तन पर बल दिया। ये प्रयास दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता सुधारने में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं, बशर्ते राज्य सरकारें इन्हें गंभीरता से लागू करें।

--आईएएनएस

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