नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। मानसिक तनाव, चेहरे पर झुर्रियां, कब्ज, अपच, गैस और पेट दर्द जैसी कई समस्याओं से अगर आप जूझ रहे हैं, तो 'नाभि चिकित्सा' सर्वोत्तम साबित हो सकती है। आयुर्वेद में नाभि चिकित्सा के कई फायदे बताए गए हैं।
आयुर्वेद में नाभि में तेल अप्लाई करने की विधि को 'पेचोटी' कहा जाता है। नाभि जो हमारे शरीर का केंद्र बिंदु होता है। यहां पर नियमित रूप से तेल लगाने से शरीर को काफी लाभ होता है। अजीब सी बात है लेकिन यह सौ फीसदी सत्य है कि पेट के इस हिस्से में लगाया तेल चेहरे की रौनक ही नहीं बढ़ाता बल्कि बालों को भी चमकदार बनाता है।
सवाल उठता है कि आखिर इसके लिए किस तेल का इस्तेमाल करें? तो नाभि में आप सरसों का तेल, नारियल का तेल प्रयोग कर सकते हैं, इससे त्वचा में नमी बनी रहती है। इसके साथ ही गर्मियों में फटे होंठ और झुर्रियों के निदान में भी काफी उपयोगी है। नाभि चिकित्सा से सबसे बड़ी राहत पाचन तंत्र को मिलती है। अगर आप पाचन तंत्र की समस्या से जूझ रहे हैं तो आप इस प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं। इसके अलावा कब्ज, अपच, गैस और पेट दर्द जैसी समस्याएं कम होती हैं।
इस चिकित्सा को नियमित अपनाने से दिनभर की थकान दूर होती है और एक अच्छी और भरपूर नींद मिलती है। इससे तनाव और चिंता कम होती है। इसके साथ ही जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है। हार्मोनल संतुलन में मदद मिलती है।
आयुर्वेद के अनुसार, नाभि शरीर के हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करती है। नियमित रूप से नाभि में तेल लगाने से हार्मोनल असंतुलन, खासकर महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में राहत मिल सकती है।
नाभि में तेल लगाने के लिए एक समय का चयन करें। जैसे कि आप जब रात को सोने के लिए जा रहे हों तो अपनी नाभि को अच्छे से साफ कर लें, इसके बाद तेल लगाएं। संभव हो तो 3 से 4 मिनट तक मसाज करें। 3 से 4 सप्ताह तक नियमित यह प्रक्रिया करने से आपको लाभ होगा।
ध्यान देने वाली बात यह है कि शुद्ध तेल का ही प्रयोग करें। अगर शरीर पर पहले से एलर्जी है तो इस चिकित्सा को न अपनाएं। खासतौर पर गर्भवती महिलाएं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोग पहले डॉक्टर से सलाह लें।
--आईएएनएस
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