बिहार चुनाव : 'राम' नाम की सियासी परंपरा और मिथिला की सांस्कृतिक विरासत का केंद्र बनी राजनगर सीट

बिहार विधानसभा चुनाव : 'राम' नाम की सियासी परंपरा और मिथिला की सांस्कृतिक विरासत का केंद्र बनी राजनगर सीट

पटना, 13 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में मधुबनी जिले की राजनगर विधानसभा सीट पर सभी की निगाहें टिकी हैं। यह सीट न सिर्फ अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती है, बल्कि इसकी राजनीतिक परंपरा भी बेहद खास रही है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह सीट झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।

विधानसभा चुनाव के लिहाज से राजनगर एक दिलचस्प सीट रही है। इसकी स्थापना 1967 में हुई थी और 1977 में इसे भंग कर दिया गया था। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट दोबारा अस्तित्व में आई और तब से अब तक चार विधानसभा चुनाव (एक उपचुनाव सहित) हो चुके हैं।

यहां पर 1967 से 1972 तक कांग्रेस का दबदबा रहा, जबकि 2010 और 2014 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने जीत दर्ज की। इसके बाद 2015 और 2020 में भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमाया।

इस सीट की सबसे रोचक बात यह रही है कि यहां से जीतने वाले अधिकांश विधायकों के नाम में 'राम' जरूर शामिल रहा है। चाहे वह कांग्रेस के राम कृष्ण महतो हों, राजद के राम लखन पासवान और राम अवतार पासवान या भाजपा के राम प्रीत पासवान। एकमात्र अपवाद रहे हैं बिलट पासवान विहंगम, जिन्होंने 1969 और 1972 में जीत दर्ज की थी। ऐसे में 2025 के चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि 'राम' नाम का यह सिलसिला जारी रहता है या कोई नया चेहरा इस परंपरा को तोड़ता है।

जनसांख्यिकी की बात करें तो चुनाव आयोग के अनुसार, 2024 में इस क्षेत्र की अनुमानित कुल आबादी 5,77,019 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 3,00,154 और महिलाओं की 2,76,865 है। वहीं, कुल पंजीकृत मतदाता 3,39,401 हैं, जिनमें 1,77,479 पुरुष और 1,61,896 महिला शामिल हैं।

वहीं, इस सीट की सांस्कृतिक और भावनात्मक पहचान राजनगर पैलेस और मां काली मंदिर से भी जुड़ी है। राजनगर पैलेस, बिहार के गौरवशाली अतीत और मिथिला की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है। मधुबनी जिले के राजनगर में यह पैलेस 1,500 एकड़ में फैला है। इस ऐतिहासिक महल का निर्माण महाराज महेश्वर सिंह ने कराया था।

1934 के विनाशकारी भूकंप में यह काफी क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन आज भी इसका संग्रहालय, नक्काशीदार पत्थर, लकड़ी की कलाकृतियां और विशाल हाथी प्रतिमाएं मिथिला की समृद्ध विरासत की गवाही देते हैं।

महल परिसर में स्थित सफेद संगमरमर से बने मां काली मंदिर नवरात्रि में भक्तों से भरा रहता है। यह मां काली मंदिर, मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

--आईएएनएस

डीसीएच/एबीएम