पटना, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित हथुआ विधानसभा क्षेत्र प्रदेश की राजनीति में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। गोपालगंज लोकसभा सीट का हिस्सा होने के साथ-साथ यह सीट इसीलिए भी चर्चा में है क्योंकि इसी क्षेत्र में फुलवरिया गांव है, जो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का पैतृक गांव है। राजनीति और इतिहास दोनों के लिहाज से हथुआ का क्षेत्रीय समीकरण बिहार की सत्ता के रुझान को दर्शाने वाला माना जाता है।
भौगोलिक रूप से हथुआ बिहार के पश्चिमी गंगा के उपजाऊ मैदान में बसा है। जलोढ़ मिट्टी की अधिकता के कारण यहां धान, गेहूं, मक्का और गन्ना जैसी फसलें बड़ी मात्रा में उगाई जाती हैं। कृषि ही यहां की मुख्य आर्थिक धुरी है। हालांकि, यहां के लोग डेयरी व्यवसाय और छोटे व्यापारों से भी जुड़े हैं। रोजगार की कमी और सीमित औद्योगिक अवसरों के कारण पलायन यहां की बड़ी सामाजिक समस्या बनी हुई है। हाल के वर्षों में सड़क संपर्क और बुनियादी ढांचे में सुधार देखने को मिले हैं, जिससे विकास की रफ्तार में तेजी आई है।
गोपालगंज जिला मुख्यालय से हथुआ लगभग 20 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। इसके पूर्व में मीरगंज, दक्षिण-पश्चिम में सिवान और छपरा जिले की सीमाएं लगती हैं। राजधानी पटना से हथुआ की दूरी लगभग 160 किलोमीटर है। सिवान-गोपालगंज रेल लाइन पर स्थित हथुआ और मीरगंज रेलवे स्टेशन इस क्षेत्र को राज्य के अन्य हिस्सों से जोड़ते हैं।
राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो हथुआ विधानसभा क्षेत्र में हथुआ और फुलवरिया प्रखंडों के अलावा उच्चकागांव ब्लॉक के जमसर, त्रिलोकपुर, मोहैचा और बलेसरा ग्राम पंचायतें शामिल हैं। साथ ही, मीरगंज नगर पंचायत भी इस विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यहां लालू प्रसाद यादव का गृह क्षेत्र होने के बाद भी लंबे समय तक राजद को सफलता नहीं मिल सकी।
2008 में क्षेत्र के गठन के बाद से हुए पहले दो चुनावों (2010 और 2015) में जदयू ने जीत दर्ज की। राजद को यहां पहली बार सफलता 2020 के विधानसभा चुनाव में मिली, जब उसने जदयू को कड़ी टक्कर देकर सीट अपने नाम की। यह जीत न केवल राजद के लिए प्रतीकात्मक थी, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि लालू यादव के गृह क्षेत्र में पार्टी ने अपनी खोई पकड़ फिर से हासिल कर ली है। राजनीति, इतिहास और सामाजिक संरचना के इस अद्भुत मिश्रण के कारण हथुआ विधानसभा क्षेत्र बिहार के उन इलाकों में से एक है, जहां का हर चुनाव सिर्फ एक सीट नहीं, बल्कि पूरे राज्य के जनमत का संकेत माना जाता है।
हथुआ की राजनीति में जातीय समीकरणों का गहरा प्रभाव है। यादव, राजपूत, ब्राह्मण, बनिया, कुशवाहा और दलित समुदाय यहां के प्रमुख मतदाता समूह हैं। यादवों की बहुलता राजद के पक्ष में जाती है, जबकि राजपूत और ऊपरी जातियों का झुकाव आम तौर पर जदयू या भाजपा की ओर देखा गया है। मीरगंज और फुलवरिया जैसे इलाकों में मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जो कई बार गठबंधन समीकरणों को बदल देते हैं।
2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, हथुआ विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,29,438 है, जिसमें 2,67,896 पुरुष और 2,61,542 महिलाएं शामिल हैं। कुल 3,20,877 मतदाताओं में से 1,62,882 पुरुष, 1,57,988 महिलाएं और 7 थर्ड जेंडर वोटर हैं।
--आईएएनएस
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