बिहार विधानसभा चुनाव : सूर्य मंदिर की सांस्कृतिक और धार्मिक भव्यता के लिए प्रसिद्ध गरखा पर चढ़ रहा चुनावी रंग

बिहार विधानसभा चुनाव : सूर्य मंदिर की सांस्कृतिक और धार्मिक भव्यता के लिए प्रसिद्ध गरखा में चढ़ रहा चुनावी रंग

पटना, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। सारण जिले का गरखा विधानसभा क्षेत्र न सिर्फ अपने सूर्य मंदिर की सांस्कृतिक और धार्मिक भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के रूप में भी अपनी पहचान रखता है। अनुसूचित जाति की कम संख्या के बावजूद इसकी आरक्षित सीट की स्थिति इसे एक अनूठा और चर्चित विधानसभा क्षेत्र बनाती है। गंडकी नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और जटिल चुनावी गतिशीलता के लिए जाना जाता है।

गरखा प्रखंड के नरांव में स्थित सूर्य मंदिर अपनी भव्यता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए बिहार समेत अन्य राज्यों में सुप्रसिद्ध है। यह मंदिर अपने भव्य स्वरूप के कारण पूरे देश में जाना जाता है। गरखा के बाजार में स्थित यह सूर्य मंदिर उत्तर बिहार में विशेष तौर पर प्रसिद्ध है।

जब गंडकी नदी में पानी का बहाव रहता है, तब यह मंदिर और भी मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। मंदिर के समीप कैलाश आश्रम में भगवान महादेव विराजमान हैं और महादेव के सामने सूर्य देवता अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार श्रद्धालुओं का मन मोह लेते हैं। विशेषकर छठ पूजा के दौरान, जब अर्घ्य की तैयारी छठ घाटों पर होती है, यह सूर्य मंदिर उत्तर बिहार के सबसे बड़े सूर्य मंदिरों में से एक है, जहां खास पूजा-अर्चना की जाती है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो गरखा विधानसभा क्षेत्र बिहार के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र सारण जिले में आता है और सारण लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। गरखा विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। परिसीमन के बाद गरखा विधानसभा क्षेत्र में गरखा सामुदायिक विकास खंड के साथ-साथ छपरा सामुदायिक विकास खंड की 14 ग्राम पंचायतें शामिल कर दी गई हैं।

वर्तमान में इस सीट से राजद के सुरेंद्र राम विधायक हैं। गरखा विधानसभा क्षेत्र का आरक्षण तर्क से परे प्रश्न उठाता है क्योंकि यहां अनुसूचित जाति की आबादी मात्र लगभग 13.69 प्रतिशत है, जबकि बिहार में कई अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जाति की आबादी 20 प्रतिशत से अधिक होने के बावजूद वे सामान्य सीटें हैं।

गरखा विधानसभा क्षेत्र हमेशा से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं था। इसकी स्थापना 1957 में हुई थी और 1967 से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई। 2008 के परिसीमन में भी इस सीट की स्थिति अपरिवर्तित रही।

--आईएएनएस

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