नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना देश का गर्व है। वायुसेना क्या कर सकती है इसे हमने हाल में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान देखा। राफेल, सुखोई और ब्रह्मोस यूनिट ने आतंकियों के गढ़ में ऐसी चोट पहुंचाई जिसे वो कभी भूल नहीं पाएंगे। 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना का 93वां स्थापना दिवस है।
भारतीय वायुसेना का पराक्रम हमने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान कुछ महीने पहले देखा। वायुसेना की भीषण मारक क्षमता ने महज कुछ ही मिनटों में पाकिस्तान के होश ठिकाने लगा दिए थे। वहीं, एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के किसी हमले को देश की सीमा के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया था। पाकिस्तान संघर्ष विराम के लिए भारतीय सेना के डीजीएमओ के सामने गिरगिराया था। इसलिए इस बार का स्थापना दिवस खास है। इस मौके पर वायुसेना अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी।
8 अक्टूबर को गाजियाबाद के हिंडन एयर फोर्स स्टेशन पर मुख्य परेड होगी। कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह, थल सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख, और पूर्व वायुसेना प्रमुख भी शामिल होंगे। परेड में वायुसेना की ताकत, अनुशासन, और आत्मनिर्भरता दिखेगी। इसका नेतृत्व वायुसेना प्रमुख ए.पी. सिंह करेंगे।
साहस और वीरता का पर्याय भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 में हुई थी। उस समय इसे 'रॉयल इंडियन एयरफोर्स' के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद इसे 'भारतीय वायुसेना' के नाम से जाना जाने लगा। स्थापना के समय से ही देश की सुरक्षा में वायुसेना का बेहद अहम योगदान रहा है। कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में वायुसेना की अहम भूमिका रही है। वायुसेना ने वैश्विक शांति के लिए भी संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम किया है।
ग्लोबल फायरपावर डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका, रूस, चीन और जापान के बाद भारत की वायुसेना दुनिया में सबसे ताकतवर है। भारतीय वायुसेना के पास 2,229 विमान हैं, जिसमें 53 फाइटर जेट, 899 हेलीकॉप्टर और 831 सहायक विमान हैं। भारतीय वायुसेना भविष्य में और भी ताकतवर होने जा रही है, इसके लिए कई परियोजनाएं चल रही हैं। आने वाले वर्षों में भारत लड़ाकू विमानों के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा। भारतीय वायुसेना का लक्ष्य 2047 तक लड़ाकू विमानों की संख्या को 60 स्क्वाड्रन तक बढ़ाना है। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य उभरती वैश्विक और क्षेत्रीय चुनौतियों के जवाब में वायु प्रभुत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
भारतीय वायुसेना के वर्तमान बेड़े में स्वदेशी और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के विमान हैं। घरेलू स्तर पर निर्मित एलसीए तेजस एमके-1, सुखोई एसयू-30 एमकेआई, मिग-29, मिराज 2000, राफेल और जगुआर शामिल हैं। एसयू-30 एमकेआई बेड़े का सबसे बड़ा हिस्सा है, जिसमें 260 से अधिक विमान हैं। राफेल (36) और तेजस एमके-1ए जैसे आधुनिक विमानों का जुड़ना आधुनिकीकरण में प्रगति को दर्शाता है। 2047 तक 60 स्क्वाड्रन तक पहुंचने के भारतीय वायुसेना के लक्ष्य हासिल होने पर लगभग 1,080 से 1,200 लड़ाकू विमानों का बेड़ा होगा, जो इसके वर्तमान आकार का लगभग दोगुना है। यह लक्ष्य मुख्य रूप से बढ़ते क्षेत्रीय खतरों से निपटने की जरूरतों पर आधारित है।
भारत के कुछ प्रमुख एयर डिफेंस सिस्टम में रूस से खरीदी गई एस-400 ट्रायम्फ, देश में निर्मित आकाश मिसाइल सिस्टम, इजरायल के साथ संयुक्त रूप से विकसित बराक-8 मिसाइल सिस्टम, प्रोजेक्ट कुशा और मिशन सुदर्शन चक्र (भारत में निर्मित), अक्षतीर एयर डिफेंस सिस्टम और रक्षा कवच शामिल हैं, जो दुश्मन के किसी हमले को विफल करने में सक्षम हैं।
--आईएएनएस
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