अरियालुर, 27 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो दिवसीय तमिलनाडु दौरे के दूसरे दिन रविवार को अरियालुर में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में उनकी सरकार उन कलाकृतियों को स्वदेश वापस लेकर आई है, जिन्हें विदेशों में भेज दिया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "भारत विकास और विरासत के मंत्र पर चल रहा है। आज का भारत अपने इतिहास पर गर्व करता है। पिछले एक दशक में हमने देश के धरोहरों के संरक्षण के लिए मिशन मोड में काम किया है। देश की प्राचीन कलाकृतियां और पुरावशेष चुराकर विदेशों में बेच दिए गए थे। हमारी सरकार उसे वापस लाई है।"
उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से छह सौ से ज्यादा प्राचीन कलाकृतियां और मूर्तियां दुनिया के अलग-अलग देशों से भारत वापस लाई गई हैं। इनमें 36 तमिलनाडु की हैं। नटराज, लिंगोद्भव, दक्षिणमूर्ति, अर्धनारीश्वर, नंदीकेश्वर, मां परमेश्वरी पार्वती, ऐसी कई धरोहरें फिर से इस भूमि की शोभा बढ़ा रही हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी विरासत और शैव दर्शन की छाप अब केवल भारत या इस धरती तक ही सीमित नहीं रही। जब भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश बना, तब हमने चंद्रमा के उस केंद्र को भी शिवशक्ति नाम दिया। चंद्रमा के उस हिस्से की पहचान अब शिवशक्ति के नाम से होती है।
संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने चोल साम्राज्य की समृद्ध विरासत और उसकी आधुनिक भारत के लिए प्रेरणा बनने वाली भूमिका को याद करते हुए कहा कि चोल काल में भारत ने आर्थिक और सैन्य क्षेत्र में जो ऊंचाइयां हासिल की थीं, वे आज भी हमें प्रेरणा देती हैं।
उन्होंने बताया कि राजा चोल ने एक मजबूत नौसेना की नींव रखी थी, जिसे राजेंद्र चोल ने और अधिक ताकतवर बनाया। चोल साम्राज्य एक ऐसा प्राचीन मार्गदर्शक है, जो हमें बताता है कि अगर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है, तो हमें अपनी नौसेना, रक्षा बलों को मजबूत करना होगा और नई संभावनाओं की खोज करनी होगी। आज का भारत इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है और हमारे इतिहास से सीख लेकर भविष्य की राह तय कर रहा है।
--आईएएनएस
पीएके/एबीएम