भारत रत्न पं. रवि शंकर: सितार के जादूगर जिन्होंने विश्व को भारतीय शास्त्रीय संगीत का दीवाना बना दिया

भारत रत्न पं. रवि शंकर: सितार के जादूगर जिन्होंने विश्व को भारतीय शास्त्रीय संगीत का दीवाना बना दिया

नई दिल्ली, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। पंडित रवि शंकर वो पहले भारतीय संगीतकार थे जिन्होंने पाश्चात्य जगत (वेस्टर्न वर्ल्ड) में शास्त्रीय संगीत को सम्मानजनक स्थान दिलाया। उन्होंने दुनियाभर में भारतीय संगीत की ख्याति को बढ़ाया। चार ग्रैंड स्लैम और कई देशों का सर्वोच्च सम्मान पाने वाले रवि शंकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान उनके निधन के मात्र 11 दिन बाद मिला।

पंडित रवि शंकर का जन्म 7 अप्रैल, 1920 को हुआ था। उन्होंने मैहर घराने के संस्थापक उस्ताद अलाउद्दीन खान से संगीत की तालीम ली और सितार को विश्व मंच पर स्थापित किया। वे पहले भारतीय संगीतकार थे जिन्होंने पाश्चात्य जगत में शास्त्रीय संगीत को सम्मानजनक स्थान दिलाया।

1960 के दशक में जब बीटल्स के जॉर्ज हैरिसन उनके शिष्य बने तो पूरी दुनिया ने सितार की धुन सुनी। ‘नॉर्वेजियन वुड’ और ‘विदिन यू विदाउट यू’ जैसे गानों में सितार की झंकार रवि शंकर की ही देन थी। जॉर्ज हैरिसन ने उन्हें ‘संगीत का देवता’ कहा था।

महान फिल्मकार सत्यजीत रे की 'पथेर पांचाली', 'अपराजितो', 'अपूर संसार' जैसी कालजयी फिल्मों का संगीत भी रवि शंकर ने ही रचा। गांधी फिल्म में ‘रघुपति राघव’ का जो रूप दुनिया ने सुना, वह भी उनकी कृति थी।

रवि शंकर के नाम अनगिनत सम्मान और अनगिनत रिकॉर्ड दर्ज हैं। उनके नाम 4 ग्रैमी अवार्ड हैं, जो किसी भारतीय द्वारा सबसे ज्यादा हैं। इसके अलावा, उन्हें एक ऑस्कर नामांकन (गांधी फिल्म), 14 डॉक्टरेट की उपाधियां, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस सहित कई देशों के सर्वोच्च सम्मान, और भारत में पद्म विभूषण (1981) और पद्म भूषण (1967) सम्मान मिला।

2012 में जब भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' की घोषणा हुई तो पूरा देश भाव-विभोर हो उठा। सितार के सुरों से दुनिया को मोहित करने वाले महान संगीतकार पंडित रवि शंकर को मरणोपरांत यह सम्मान देने का ऐलान हुआ। यह वह विरल मौका था जब शास्त्रीय संगीत के किसी कलाकार को जीते-जी नहीं, बल्कि उनके निधन के मात्र 11 दिन बाद देश का सबसे बड़ा सम्मान मिला।

अमेरिका के सैन डियगो में 92 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के ठीक 11 दिन बाद, 22 दिसंबर 2012 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने घोषणा की कि पंडित रवि शंकर को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 25 जनवरी 2013 को औपचारिक रूप से प्रदान किया गया।

उन्होंने अपनी दोनों बेटियों, नोरा जोन्स (ग्रैमी विजेता) और अनुष्का शंकर (विश्व प्रसिद्ध सितार वादक), को भी संगीत की विरासत सौंपी।

पंडित रवि शंकर का जाना सिर्फ भारत का नहीं, विश्व संगीत का नुकसान था। हर साल 11 दिसंबर को विश्व भर में उनके प्रशंसक 'रवि शंकर स्मृति दिवस' मनाते हैं। कोलकाता में 'पंडित रवि शंकर संस्थान' और वाराणसी और दिल्ली में उनके नाम पर संगीत अकादमियां चल रही हैं। 2020 में उनके जन्म के 100 वर्ष पूरे होने पर यूनेस्को ने भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था।

भारत रत्न पंडित रवि शंकर सिर्फ एक संगीतकार नहीं थे, बल्कि भारत के सांस्कृतिक राजदूत थे जिन्होंने सितार के सात सुरों से पूरी दुनिया को भारतीयता का सम्मोहन सिखाया।

--आईएएनएस

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