नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने 'कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन- 2025' को संबोधित करते हुए वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत की बढ़ती भूमिका और बदलती विश्व व्यवस्था पर प्रकाश डाला।
आईएएनएस से बात करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि हर सम्मेलन में समकालीन विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस वर्ष सम्मेलन का फोकस मौजूदा वैश्विक अनिश्चितता के बीच साझा समृद्धि का रास्ता तलाशने पर है।
पात्रा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष यह सम्मेलन समकालीन वैश्विक चुनौतियों पर केंद्रित रहता है। वर्ष 2022 में महामारी से उबरने, 2023 में युद्धों और विखंडन के बीच 'आग पर दुनिया' और 2024 में हरित ऊर्जा व नई तकनीकों में भारत की भूमिका पर चर्चा हुई थी।
उन्होंने भारत की भूमिका पर विशेष जोर देते हुए कहा कि दुनिया का सबसे युवा और सबसे बड़ा देश होने के नाते भारत को एशिया की ओर देखना स्वाभाविक है। भारत के पारंपरिक संबंध एशियाई देशों के साथ हैं।
पात्रा ने कहा, ''अगली सदी में यदि युद्ध या बढ़ती उम्र की आबादी जैसी अस्थिरकारी शक्तियां प्रभावी नहीं हुईं, तो भारत का एशिया की ओर झुकाव और मजबूत होगा। भारत को अपनी युवा आबादी और आर्थिक क्षमता का लाभ उठाते हुए वैश्विक मंच पर नेतृत्वकारी भूमिका निभानी चाहिए।''
उन्होंने कहा कि भारत एक बहुध्रुवीय विश्व में अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत न केवल आर्थिक विकास में योगदान दे रहा है, बल्कि वैश्विक चुनौतियों के समाधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
जीएसटी सुधारों पर भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर ने कहा कि भारत ने इस दिशा में पहले ही कदम उठा लिए हैं। मैंने कई नीतिगत घोषणाएं भी सुनी हैं, जो इस बात का संकेत देती हैं कि एक निर्यात पैकेज जल्द ही आने वाला है।
'कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन' भारत के लिए एक मंच प्रदान करता है, जहां वैश्विक आर्थिक नीतियों, हरित ऊर्जा, और तकनीकी नवाचारों जैसे विषयों पर विचार-विमर्श होता है।
यह सम्मेलन वैश्विक और क्षेत्रीय नेताओं, नीति निर्माताओं और अर्थशास्त्रियों को एक मंच पर लाता है, जहां भारत की रणनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं पर चर्चा होती है।
--आईएएनएस
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