भारत-रूस का इतिहास: वर्षों पुरानी दोस्ती, रक्षा सहयोग, अब व्यापारिक साझेदारी भी हो रही मजबूत

भारत-रूस का इतिहास: वर्षों पुरानी दोस्ती, रक्षा सहयोग और अब व्यापारिक साझेदारी भी हो रही मजबूत

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत और रूस की दोस्ती आज की नहीं, बल्कि वर्षों पुरानी है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध खास नहीं थे, लेकिन भारत के लिए रूस हमेशा से ही उसका सबसे भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार रहा है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से रूस हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है।

भारत और रूस की दशकों पुरानी दोस्ती में एक नया आयाम जुड़ने जा रहा है। भारत और रूस ने 1947 में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। तब से लेकर आज तक भारत किसी भी संकट में होता है तो रूस एक मित्र राष्ट्र होने के नाते मजबूती के साथ खड़ा रहा है।

1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के दौरान रूस (सोवियत संघ) ने मध्यस्थता का काम किया। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान रूस ने भारत का समर्थन किया। इतना ही नहीं, इस दौरान दोनों देशों ने मैत्री और सहयोग संधि की।

परमाणु के क्षेत्र में भी रूस भारत का पुराना भागीदार है। मार्च 2010 में राष्ट्रपति पुतिन ने भारत दौरे पर परमाणु ऊर्जा के उपयोग के क्षेत्र में एक अहम सुरक्षा समझौते पर मुहर लगाई थी।

भारत और रूस ने स्पेस के क्षेत्र में भी अहम भागीदारी निभाई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी दोनों देशों की मजबूत साझेदारी देखी गई।

भारत और रूस के बीच दोस्ती का इतिहास काफी पुराना है। खासतौर से रक्षा के मामले में रूस भारत के साथ दशकों से खड़ा है। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की शुरुआत 1950-60 के दशक में हुई थी।

भारत एक तरफ चीन और दूसरी तरफ पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से मुकाबला कर रहा है। दो छोर से भारत के लिए लगातार चुनौतियां खड़ी रहती हैं, हालांकि, रूस एक मित्र राष्ट्र होने के नाते भारत के साथ खड़ा है। रूस रक्षा और रणनीतिक सहयोग के जरिए भारत का साथ दे रहा है। भारत की डिफेंस ताकत को बढ़ाने में रूस की मिग-21 से लेकर एस-400 मिसाइल, सुखोई जेट और टी-90 टैंक जैसे तमाम प्रमुख हथियार और डिफेंस सिस्टम ने अहम भूमिका निभाई है। भारत रूस के सहयोग से मेड इन इंडिया हथियार भी बना रहा है।

भारत और रूस ने हाल ही में अपनी दोस्ती की प्रतिबद्धता स्पष्ट की, जब अमेरिका ने दोनों देशों के बीच तेल व्यापार खत्म करने के लिए मनमाना टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की। हालांकि, भारी दबाव के बावजूद भी भारत ने अमेरिका के सामने घुटने नहीं टेके और साफ शब्दों में कहा कि वह किससे तेल खरीदेगा और किससे नहीं, यह कोई अन्य देश तय नहीं करेगा।

ग्लोबल साउथ में भारत और रूस की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण है। दोनों देश इस समूह में अपने हितों को बढ़ावा दे रहे हैं। एक तरफ रूस ग्लोबल साउथ में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है, दूसरी ओर भारत इस समूह के वैश्विक हितों के बारे में विश्व पटल पर आवाज उठा रहा है।

वहीं, अगर सांस्कृतिक संबंधों की बात की जाए तो भारत का संगीत, नृत्य और फिल्में रूस में काफी पसंद की जाती हैं।

--आईएएनएस

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