नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के जेजुरी में स्थित खंडोबा मंदिर में हर साल दिसंबर के महीने में भक्त हल्दी की होली खेलते हैं। भक्त दूर-दूर से भगवान शिव के मार्तंड भैरव स्वरूप की पूजा करने के लिए आते हैं। माना जाता है कि भगवान मार्तंड भैरव के दर्शन तब तक अधूरे माने जाते हैं, जब तक भक्त राक्षस मणि के दर्शन पूरे नहीं कर लेते।
इसके पीछे का कारण एक पौराणिक कथा में छुपा है। इसके मुताबिक जब ब्रह्मा पृथ्वी की रचना कर रहे थे तो उनकी पसीने की बूंद से मल्ल और मणि राक्षसों का जन्म हुआ। दोनों राक्षसों ने मिलकर धरती पर उत्पात मचाना शुरू कर दिया और कई बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
ऐसे में भक्तों ने भगवान शिव से प्रार्थना की। अपने भक्तों को बचाने के लिए भगवान शिव खंडोबा या मार्तंड भैरव रूप में प्रकट हुए। उन्होंने अपनी तलवार से मल्ल राक्षस का वध किया। अपने भाई की मौत को देखकर मणि ने भगवान शिव के सामने आत्मसमर्पण किया और क्षमा मांगी। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर मणि को क्षमा किया और उसे अपने मंदिर में स्थान भी दिया।
खंडोबा मंदिर में भगवान शिव के मार्तंड भैरव रूप की पूजा होती है। यह रूप भगवान शिव का सबसे अनोखा रूप है। इस रूप में भगवान शिव योद्धा अवतार में हैं और उनके हाथ में बड़ी तलवार है। मार्तंड भैरव घोड़े पर सवार होकर भक्तों की रक्षा करने के लिए मौजूद हैं। भगवान शिव के मार्तंड भैरव रूप की गिनती उनके उग्र रूपों में की जाती है, जो अपनी तलवार से बुरी महाशक्तियों का नाश करते हैं।
शत्रुओं पर विजय पाने के उपलक्ष्य में यहां हल्दी की होली होती है और भगवान शिव को भी हल्दी अर्पित की जाती है। मंदिर के मुख्य द्वार पर भी राक्षस मणि की छोटी सी प्रतिमा विराजमान है। मंदिर में हर साल 42 किलो की तलवार उठाने की प्रतियोगिता भी रखी जाती है। माना जाता है कि इसी तलवार से भगवान मार्तंड भैरव ने राक्षसों का संहार किया था।
ऐसी मान्यता है कि अगर विवाह में देरी हो रही है या कोई संतान सुख से वंचित हैं, तो महाराष्ट्र में स्थापित इस मंदिर में हर मनोकामना को पूरा करने की शक्ति है। भक्त दूर-दूर से भगवान शिव के योद्धा अवतार के दर्शन करने आते हैं।
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