नई दिल्ली, 16 नवंबर (आईएएनएस)। बथुआ को हम अक्सर मामूली साग समझकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन असल में यह पोषण और फायदे से भरा खजाना है। ठंड शुरू होते ही खेतों, खाली जमीनों और गेहूं-चना-सरसों की फसलों के बीच यह अपने-आप उग आता है। इस वजह से लोग इसे ज्यादा फायदेमंद नहीं समझते, लेकिन यह नेचर का दिया वरदान है।
इसमें विटामिन, मिनरल और प्राकृतिक गुणों की भरमार है। इसकी पत्तियों में विटामिन ए, सी और के, के साथ ही कैल्शियम, आयरन और फाइबर जैसे ढेरों एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इस छोटे से पौधे के अंदर पूरा न्यूट्रीशन टैंक भरा हुआ है।
सर्दियों में बथुआ खाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पाचन को काफी हद तक ठीक करता है। कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी आम समस्याओं में यह बहुत राहत देता है। कई लोग इसका रस पीते हैं, जिससे भूख बढ़ती है और आंतें साफ रहती हैं।
माना जाता है कि इसका ताजा रस लिवर को साफ रखने में मदद करता है और शरीर की सूजन कम करने में भी उपयोगी होता है। जोड़ों का दर्द और जकड़न जैसी परेशानियों में भी बथुआ फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद विटामिन ए और सी त्वचा और बालों के लिए भी बहुत अच्छे हैं। इसमें आयरन की भी अच्छी मात्रा होती है, इसलिए खून की कमी वाले लोगों को इसका साग जरूर खाना चाहिए।
सबसे अच्छी बात यह है कि यह आसानी से मिल जाता है। खेतों के किनारे, बगीचों के पास, नमी वाली जमीन या खाली प्लॉट, जहां भी थोड़ी मिट्टी हो, बथुआ वहीं उग आता है। यह एक तरह का स्व-बीजारोपण पौधा है।
इसके इस्तेमाल के तरीके भी बहुत हैं। बथुए का साग, पराठे, रायता, जूस, सूप, यहां तक कि इसे सुखाकर पाउडर भी बनाया जाता है। गांवों में तो इसे पशुओं के चारे में भी दिया जाता है क्योंकि यह पौष्टिक होता है।
--आईएएनएस
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