न्याय के देवता को मनाना है तो इन शनि धाम में पहुंचकर करें दर्शन-पूजन, मिलेगी हर कष्टों से मुक्ति

न्याय के देवता को मनाना है तो इन शनि धाम में पहुंचकर करें दर्शन-पूजन, मिलेगी हर कष्टों से मुक्ति

नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)। वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी भी जातक की कुंडली में 12 भाव और इन 12 भावों में नौ ग्रह स्थान पाते हैं। इन नौ ग्रहों में से राहु और केतु को जहां छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है। वहीं शनि, सूर्य और मंगल को क्रूर ग्रह माना गया है। इसके साथ ही शुभ ग्रहों में बुध, चंद्रमा, गुरु और शुक्र को रखा गया है। शनि को न्याय का देवता कहा गया है। ऐसे में शनि को लेकर मान्यता है कि यह जातक के जीवन को संघर्ष से तो भर देते हैं लेकिन, अगर जातक शनि के हिसाब से चले और अपने को चरित्रवान और बेहतर इंसान बनाकर रखे तो शनिदेव उसकी जिंदगी को खरा सोना भी बना देते हैं।

ऐसे में शनि की साढ़े साती और ढैय्या के दौरान, या शनि की महादशा के दौरान जातक को काफी संभलकर रहने की सलाह दी जाती है। अंक ज्योतिष की मानें तो शनि को अंक 8 का स्वामी माना जाता है। इसके साथ ही शनि की मित्र राशि बुध और शुक्र है तथा गुरु को सम माना गया है। इसके साथ ही आपको बता दें कि कुंडली के अनुसार शनि देव का मकर और कुंभ राशि पर आधिपत्य है। वहीं तुला राशि शनि की उच्च राशि है। धनु और वृषभ राशि के जातकों पर भी शनि देव की कृपा बरसती है।

अब ऐसे में एक बार कुंडली में ग्रहों के गमन चक्र को समझें तो बेहतर होगा। आपको बता दें कि कुंडली में सूर्य और चंद्रमा मार्गी होकर गमन करते हैं, जबकि राहु और केतु हमेशा वक्री गमन करते हैं। जबकि बाकी के बचे 5 ग्रह शनि, मंगल, बुध, गुरु और शुक्र समय के साथ मार्गी और वक्री दोनों स्थितियों में गमन करते हैं।

शनि देव को लेकर हमेशा से लोगों के मन में एक भय बना रहता है कि वह जातक का अनिष्ठ करते हैं, जबकि ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। शनि जातक को संघर्ष तो देते हैं लेकिन साथ ही उसे सोने की तरह निखारते भी हैं। अब एक बार शनि देव के बारे में जान लें कि वह सूर्य देव और छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव के दो पुत्र हैं, यम और शनि। उनकी माता छाया हैं और इसलिए उन्हें छाया पुत्र भी कहा जाता है। शनि देव के बड़े भाई यम मृत्यु के देवता हैं। यम मृत्यु के बाद व्यक्ति के कर्मों का फल देते हैं, जबकि शनि देव जातक को वर्तमान जीवन में ही उसके कर्मों का फल देने के लिए जाने जाते हैं।

ऐसे में अगर जातक शनि की साढ़े साती, ढैय्या या महादशा से गुजर रहे हैं तो उन्हें भारत में स्थित कुछ शनि मंदिरों में दर्शन जरूर करना चाहिए ताकि उनके जीवन में चल रहे कष्टों से मुक्ति मिले। वैसे शनि देव की कृपा पाने के लिए महादेव और हनुमान जी की पूजा भी जातक के लिए श्रेष्ठ बताई गई है।

कहते हैं कि शनि की अशुभ दृष्टि किसी जातक पर हो तो आर्थिक परेशानियां, नौकरी में संकट, मान-सम्मान में गिरावट और कलेश में वृद्धि होती है।

ऐसे में हम आपको भारत के प्रसिद्ध शनि मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जहां जाकर आप शनि देव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। ताकि आपके जीवन में शनि की जो अशुभ दृष्टि है वह शुभता में परिवर्तित हो जाए।

इसके लिए देश में सबसे फेमस मंदिर शनि शिंगणापुर है जो महाराष्ट्र में पड़ता है। कई लोग तो इस स्थान को शनि देव का जन्म स्थान भी मानते हैं। शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनि देव की प्रतिमा लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंची व लगभग एक फीट छह इंच चौड़ी है।

शनि तीर्थ क्षेत्र, असोला, फतेहपुर बेरी, यह मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है। यहां शनि देव की सबसे बड़ी मूर्ति विद्यमान है, जो कि अष्टधातुओं से बनी है। यहां एक प्रतिमा में शनिदेवगिद्ध पर औरदूसरी में भैंस पर सवार हैं। यहां को लेकर मान्यता है कि शनि देव यहां जागृत अवस्था में विराजमान हैं।

शनि देव का एक प्राचीन व चमत्कारिक मंदिर जूनी इंदौर में स्थित है। इसे दुनिया का सबसे प्राचीन शनि मंदिर माना जाता है। माना जाता है इस मंदिर में शनि देवता स्वयं पधारे थे। इस मंदिर में तेल से नहीं बल्कि सिंदूर से शनिदेव का श्रृंगार किया जाता है।

मध्य प्रदेश में ग्वालियर के नजदीक एंती गांव में शनिदेव का शनिचरा मंदिर है। देश के सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन शनि मंदिर में प्रतिष्ठित शनिदेव की प्रतिमा भी विशेष है। माना जाता है कि ये प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है। यहां के बारे में मान्यता है कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराकर उन्हें मुरैना पर्वतों पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था। मंदिर के बाहर हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है।

एक शनि मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में स्थित है, जो शनि धाम के रूप में प्रख्यात है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है।

दिल्ली से 128 किमी की दूरी पर कोसीकलां में शनिदेव का मंदिर है। यह उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में आता है। कहा जाता है कि यहां की परिक्रमा करने पर मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस स्थान को कोकिलावन धाम के नाम से जाना जाता है। यहां शनि देव की विशाल प्रतिमा स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में लगातार सात शनिवार तक शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाने से शनि दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने शनिदेव को इसी स्थान पर कोयल के रूप में दर्शन दिए थे, यही कारण है कि इस मंदिर में शनि देव के साथ-साथ भगवान कृष्ण और राधा रानी की भी पूजा की जाती है।

इसके साथ मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में सांवेर रोड पर प्राचीन शनि मंदिर स्थित है। लगभग 5000 साल पुराने इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां शनि देव के साथ-साथ अन्य नवग्रह भी हैं, इसलिए इसे नवग्रह मंदिर भी कहा जाता है। यहां शनि देव की दो प्रतिमाएं राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित की गई थी। एक शनि देव की है, तथा दूसरी ढैय्या शनि देव की है। जो लोग शनि की ढैय्या से परेशान होते हैं, वे यहां दर्शन करने आते हैं।

दक्षिण भारत में स्थित शनि देव को समर्पित यह मंदिर तमिलनाडु के तिरुनल्लर में है जो नवग्रह मंदिरों में से एक है। भारत में स्थित शनिदेव का यह सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने से शनि ग्रह के सभी बुरे प्रभावों से मुक्ति मिल जाती है।

इसके साथ ही यरदनूर शनि मंदिर तेलंगाना राज्य के मेडक जिले के एक छोटे से गांव में मौजूद है। यहां शनिदेव की 20 फीट ऊंची प्रतिमा है। साथ ही कर्नाटक के उडुपी में भगवान शनि का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर परिसर में भगवान शनि की 23 फीट ऊंची मूर्ति भी है।

वहीं गुजरात के भावनगर में के सारंगपुर स्थित सारंगपुर कष्टभंजन हनुमान मंदिर है। यहां हनुमान जी के साथ शनि देव की मूर्ति भी विराजित है। यहां शनि देव एक स्त्री के रूप में हनुमान जी के चरणों में बैठे हैं। मान्यता है कि यहां आकर हनुमान जी के दर्शन और पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में मौजूद शनि दोष से मुक्ति मिल जाती है।

आपको बता दें कि शनिदेव को काला तिल, तेल, काला वस्त्र, काली उड़द अत्यंत प्रिय है। इसी से ही शनि देव की पूजा होती है। शनि के प्रकोप से बचने के लिए जातक को शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए, और इसके साथ ही दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ भी करना बेहतर है। शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से भी शनि के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही शनि देव के इन मंदिरों के हो सके तो दर्शन करें, शनि देव की कृपा आप पर बरसेगी।

--आईएएनएस

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