एक देश के रूप में भारत ने हमेशा विकास को दी प्राथमिकता : पीयूष श्रीवास्तव

 एक देश के रूप में भारत ने हमेशा विकास को दी प्राथमिकता : पीयूष श्रीवास्तव

नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस) । भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार पीयूष श्रीवास्तव ने शुक्रवार को कहा कि एक देश के रूप में भारत ने हमेशा विकास को प्राथमिकता दी है। उन्होंने आगे कहा कि हमने कभी किसी अन्य देश के प्रति आक्रामक इरादे नहीं रखे। हालांकि, हम उचित, निर्णायक और अपनी पसंद के समय पर जवाब देने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं।

नई दिल्ली में आयोजित एयर कार्गो फोरम इंडिया के वार्षिक सम्मेलन के चौथे संस्करण में उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास जारी रहना चाहिए। अगर हम विशेष रूप से हवाई ढाचें की बात करें तो विमानन क्षेत्र के सामने कई विरोधाभास और चुनौतियां हैं।

उन्होंने कहा, "जब हम एयर कार्गो की बात करते हैं तो इसमें नियामक आयाम, आर्थिक हित और इंफ्रास्ट्रक्चर के पहलू जैसे कई आयाम शामिल होते हैं। सरकार इन सभी को प्राथमिकता दे रही है।"

उन्होंने आगे कहा कि यह प्राथमिकता कॉर्डिनेशन के स्तर पर स्पष्ट है, जैसा कि प्रधानमंत्री के गति शक्ति कार्यक्रम से स्पष्ट होता है।

उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, "गति शक्ति कार्यक्रम का उद्देश्य समन्वित तरीके से इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना है। दोहराव से बचना और व्यवधानों को कम करना है ताकि इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की समग्र दक्षता में वृद्धि हो सके। इससे, एयर कार्गो सहित सेवाओं की बेहतर डिलीवरी होती है।"

देश में विकसित तकनीकी प्रगति और इंफ्रास्ट्रक्चर के योगदान को लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार श्रीवास्तव ने सिंदूर ऑपरेशन का जिक्र किया।

उन्होंने कहा, "हम आज भी अपने एक पड़ोसी देश द्वारा किए गए दुर्भाग्यपूर्ण दुस्साहस को याद करते हैं, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुआ था। हमारे सशस्त्र बलों की बहादुरी की बदौलत हमने उन्हें करारा झटका दिया था, लेकिन इसमें देश में विकसित तकनीकी प्रगति और इंफ्रास्ट्रक्चर का भी योगदान था। हमारी आर्थिक मजबूती ने जवाब देने की हमारी क्षमता मजबूत किया।"

उन्होंने आगे कहा, "हम एक व्यापक विमानन इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं - न केवल एयर इंफ्रास्ट्रक्चर बल्कि सहायक सेवाएं भी, जिनमें एमआरओ, विमानों को लीज पर देना और वित्तपोषित करना, तथा यहां तक ​​कि भारत में विमान निर्माण क्षमताओं की संभावनाएं तलाशना शामिल है।"

--आईएएनएस

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