9 अगस्त 2012 का वो ऐतिहासिक दिन, जब 'अग्नि-2' ने भारत की रक्षा ताकत को दी नई उड़ान

9 अगस्त 2012 का वो ऐतिहासिक दिन, जब 'अग्नि-2' ने भारत की रक्षा ताकत को दी नई उड़ान

नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। 9 अगस्त, 2012, ये वो दिन था, जब भारतीय सेना ने देश की रक्षा क्षमता को और मजबूत करते हुए परमाणु हमला करने में सक्षम अग्नि-2 बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह परीक्षण भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम और रणनीतिक रक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण कदम था। यह न केवल तकनीकी उपलब्धि थी, बल्कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक था।

दरअसल, अग्नि-2 भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) का हिस्सा है, जिसे डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है। अग्नि-2 मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल है, जो अपनी लंबी रेंज और सटीकता के लिए जानी जाती है। यह परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है।

9 अगस्त, 2012 को ओडिशा के तट पर स्थित व्हीलर द्वीप (डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप) से इसका सफल परीक्षण किया गया था।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत ने 2012 में अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए सतह से सतह पर मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-2 का सफल परीक्षण किया था। ये परीक्षण न केवल तकनीकी दक्षता को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि भारत की रणनीतिक निवारक क्षमता और क्षेत्रीय स्थिरता को भी रेखांकित करते हैं।

अग्नि-2 की मारक क्षमता 2,000 से 2,500 किलोमीटर के बीच है। यह मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल है, जो अत्याधुनिक इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (आईएनएस), जीपीएस आधारित और 1,000 किलोग्राम तक पेलोड क्षमता से लैस है। यह लगभग 20 मीटर लंबी है और इसका वजन करीब 17 टन है, जो इसे अत्यंत सटीक बनाता है। इसे रेल और सड़क दोनों से मोबाइल लांचर के जरिए प्रक्षेपित किया जा सकता है, और यही इसे रणनीतिक रूप से लचीला बनाता है। दो चरणों वाली ठोस ईंधन प्रणाली मिसाइल की त्वरित तैनाती और विश्वसनीयता सुनिश्चित करती है।

9 अगस्त 2012 को जब इस मिसाइल का परीक्षण किया गया था, तो इसने अपने लक्ष्य को सटीक रूप से भेदा था, जिसकी रडार और टेलीमेट्री स्टेशनों द्वारा पुष्टि की गई थी। यह परीक्षण भारतीय सेना की परिचालन तत्परता को परखने का हिस्सा था।

अग्नि-2 का 2012 में किया गया सफल परीक्षण भारत की मिसाइल प्रौद्योगिकी और रक्षा तैयारियों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, जो एक तकनीकी उपलब्धि के साथ-साथ भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक था।

--आईएएनएस

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