27 फीसदी ओबीसी आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

27 फीसदी ओबीसी आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा

नई दिल्ली/भोपाल, 4 जुलाई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फीसदी आरक्षण देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। आरक्षण देने के लिए साल 2019 में लाए गए कानून के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कोई अंतरिम आदेश देने से फिलहाल इनकार कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह इस याचिका पर सुनवाई लंबित अन्य संबंधित मामलों के साथ करेगा।

अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के चीफ सेक्रेटरी से जवाब मांगा है। अधिवक्ता ने आरोप लगाते हुए कहा, "मध्य प्रदेश सरकार सार्वजनिक तौर पर कहती है कि हम 27 फीसदी आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन जब बात कोर्ट में आती है तो ये अपने ही कानून का विरोध कर रहे हैं। हमने सुप्रीम कोर्ट से एक तय तारीख के साथ जल्द सुनवाई की मांग की थी। इस पर सरकार की ओर से असहमति जताई गई है, ये दुर्भाग्यपूर्ण है।"

दायर याचिका में कहा गया, "उक्त कानून पर अदालत की ओर से कोई रोक नहीं है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) ने बीते सालों में जारी की गई भर्तियों में से 13 फीसदी पदों को होल्ड कर रखा है।" याचिकाकर्ताओं की मांग है कि इन पदों पर कानून के अनुसार 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जाए।

याचिका मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा देने वाले कुछ उम्मीदवारों ने दाखिल की। उनका आरोप है कि राज्य सरकार जानबूझकर इस कानून को लागू नहीं कर रही है, जिससे ओबीसी वर्ग के साथ न्याय नहीं हो पा रहा है।

अधिवक्ता वरुण ठाकुर के मुताबिक, मध्य प्रदेश में पहले ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी था, जिसे 2019 में अध्यादेश के जरिए बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया गया था। सरकार इस अध्यादेश पर बिना किसी आधिकारिक रोक के इसके कार्यान्वयन को रोक रही है।

--आईएएनएस

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