1971 युद्ध के दौरान हुए अत्याचारों के लिए माफी की मांग बांग्लादेश-पाकिस्तान संबंधों के आड़े आएगी?

प्रतीकात्मक तस्वीर

ढाका, 25 अगस्त (आईएएनएस)। 1971 युद्ध के दौरान हुए अत्याचारों के लिए बांग्लादेश लंबे समय से पाकिस्तान से माफी मांगने की मांग करता आ रहा है। यह मांग एक बार फिर उस समय उठी, जब पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री मुहम्मद इशाक डार ढाका के दौरे पर पहुंचे।

इस मांग को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि डार 2012 के बाद ढाका जाने वाले सबसे वरिष्ठ व्यक्ति हैं। यही मांग 2012 की यात्रा के दौरान की गई थी, लेकिन पाकिस्तान ने इस पर ध्यान नहीं दिया था।

शेख हसीना के सत्ता खोने और देश छोड़कर भागने के बाद से बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच घनिष्ठता बढ़ गई है, जो कि भारत के लिए अपनी पूर्वी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सिरदर्द बन गया है।

सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान के माफी मांगने का मुद्दा दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा कर रहा है। बांग्लादेश पर नजर रखने वालों का कहना है कि बार-बार की जा रही इस मांग के कारण यह अड़चन बनी रहेगी। हालांकि, रिश्तों में खटास नहीं आएगी, क्योंकि बांग्लादेश में वर्तमान घटनाएं मुहम्मद यूनुस द्वारा नहीं, बल्कि पाकिस्तान की कठपुतली पार्टी जमात-ए-इस्लामी तय कर रही है।

डार संग बैठक के दौरान माफी की मांग न सिर्फ मुहम्मद यूनुस, बल्कि जमात और बीएनपी, ने भी की। हालांकि, जानकारों का कहना है कि यह सब सिर्फ बांग्लादेश की जनता को खुश करने के लिए है।

बैठक के बाद इशाक डार ने कहा कि बांग्लादेश को अपने दिल की बात समझनी चाहिए और 1971 में किए गए अत्याचारों के लिए पाकिस्तान की जवाबदेही के अनसुलझे मुद्दे को छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह मुद्दा 1974 में ही सुलझ गया था। जब जनरल मुशर्रफ बांग्लादेश आए थे तो उन्होंने इस मुद्दे को बेबाकी से उठाया था।

इशाक डार ने बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान द्वारा हस्ताक्षर किए गए 1974 के त्रिपक्षीय समझौते का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस समझौते में पाकिस्तान ने अत्याचारों में अपनी सेना की संलिप्तता को स्वीकार किया था।

पाकिस्तान द्वारा माफी मांगे जाने से संबंधों में कोई बाधा नहीं आएगी, इसका कारण भी स्पष्ट है, क्योंकि डार की यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों के राजनयिकों और अधिकारियों को बिना वीजा के यात्रा करने की अनुमति देने के लिए एक समझौता हुआ है। यह भारत के लिए एक बड़ा सिरदर्द है, क्योंकि आशंका है कि इसका इस्तेमाल कर आतंकवादी अधिकारी बनकर बांग्लादेश आ सकते हैं, जो भारत की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।

दिसंबर 2024 में मिस्र की राजधानी काहिरा में आयोजित डी-8 शिखर सम्मेलन के दौरान एक बैठक में यूनुस ने 1971 के युद्ध से जुड़ी लंबित शिकायतों को हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। जमात के अलावा बांग्लादेश में बड़ी संख्या में लोग पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के हिमायती हैं।

पाकिस्तान समर्थक इस वर्ग को लगता है कि शेख हसीना भारत सरकार की मदद से सत्ता में बनी रहीं। इसलिए, हसीना विरोधी गुस्सा भी भारत के लिए ही था। हसीना के निष्कासन के बाद से बांग्लादेश जल्द ही पाकिस्तान के करीब आ गया।

बांग्लादेश ने हाल के दिनों में पाकिस्तान को कई रियायतें दी थीं। बांग्लादेश ने पाकिस्तानी खेपों के 100 प्रतिशत भौतिक निरीक्षण की आवश्यकता को माफ कर दिया है। पाकिस्तानी वीजा आवेदकों के लिए मंजूरी की जरूरतों को भी आसान बना दिया गया है। साथ ही ढाका हवाई अड्डे पर पाकिस्तान केंद्रित सुरक्षा डेस्क को समाप्त कर दिया गया है।

--आईएएनएस

विपुल/एबीएम