महाकुंभ नगर, 7 फरवरी (आईएएनएस)। प्रयागराज में बने अस्थाई शहर महाकुंभ नगर में साधु-संतों के सैकड़ों-हजारों शिविर लगे हुए हैं, जो महाकुंभ के समाप्ति के बाद हट जाएंगे। हालांकि एकमात्र संत देवरहा बाबा का शिविर उसी जगह पर मौजूद रहेगा, जहां पूरे साल रोजाना हजारों श्रद्धालु आते हैं। यहां पर एक अखंड ज्योति भी है, जो पिछले 18 साल से जल रही है।
प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 पौष पूर्णिमा के पहले स्नान पर्व के साथ हिंदुओं के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ की शुरुआत हुई। महाकुंभ में देश भर से हजारों संस्थाएं और लाखों साधु-संत अपना शिविर लगाए हुए हैं। सभी शिविर लगभग 45 दिन चलने वाले महाकुंभ के बाद उखड़ जाएंगे। बस एक देवरहा बाबा का शिविर बचेगा, जो कभी इस क्षेत्र से नहीं उखड़ता है। आगामी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के आखिरी स्नान पर्व के बाद भी अस्थाई महाकुंभ नगर में लगे इस शिविर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आगमन जारी रहेगा। साल भर भक्त बाबा के मचान का आशीर्वाद लेते रहते हैं।
देवरहा बाबा के शिविर में मौजूद स्वामी रामदास महाराज ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, "देवरहा बाबा की याद में पिछले 18 साल से यहां पर अखंड ज्योति जल रही है। यह ज्योति लोक कल्याण, भविष्य कल्याण और सनातन संस्कृति की नींव को मजबूत कर रही है। 'सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया' की परिकल्पना साकार हो, इस उद्देश्य से यह प्रज्वलित है।"
उन्होंने बताया, "यहां पर देवरहा बाबा का मचान भी है। वह कहा करते थे कि मंच ही मेरा स्वरूप है। इसलिए हमारा जो देवरहा परिवार है, उसमें मंच की पूजा होती है। मैं पिछले 18 साल से यहां पर हूं।"
उल्लेखनीय है कि भीषण ठंड, मूसलाधार बारिश और तपती धूप में भी अखंड ज्योति की लौ पूरे साल जलती रहती है। रोजाना हजारों लोग इस अखंड ज्योति के दर्शन करते हैं।
--आईएएनएस
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