नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस) । केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए अर्ली इंडस्ट्री लिंकेज और निवेशकों के लगातार जुड़ाव के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने हाल ही में लॉन्च हुई 1 लाख करोड़ रुपए की आरडीआई स्कीम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पहल निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगी और भारत की डीपटेक क्रांति को गति प्रदान करेगी।
इमर्जिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी इनोवेशन कॉन्क्लेव (ईएसटीआईसी 2025) के दूसरे दिन में पिचएक्स @ईएसटीआईसी 2025 इनोवेशन और उद्यम का जीवंत प्रदर्शन देखा गया, जिसमें भारत के डीपटेक स्टार्टअप और अग्रणी निवेशक शामिल हुए।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर ने आरडीआई योजना के ऑपरेशनल फ्रेमवर्क पर विस्तार से जानकारी दी और घोषणा की कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड (टीडीबी) शीघ्र ही उभरते क्षेत्रों में डीपटेक स्टार्टअप्स को सहायता प्रदान करने के लिए प्रारंभिक निवेश करेंगे।
डीपटेक स्टार्टअप शोकेस में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा नामित 30 सफल स्टार्टअप शामिल हुए। इस शोकेस ने रिसर्च एक्सीलेंस, बौद्धिक संपदा निर्माण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता द्वारा संचालित इनोवेशन इको-सिस्टम को विकसित करने की सरकार की प्रतिबद्धता रेखांकित की।
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा, "इस 3 दिवसीय कार्यक्रम की सफलता पर गर्व और आशावाद की भावना स्पष्ट रूप से महसूस की जा सकती है।"
उन्होंने ईएसटीआईसी 2025 को लेकर कहा कि कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के दौरान पीएम द्वारा 1 लाख करोड़ की रिसर्च, डेवलपमेंट, इनोवेशन (आरडीआई) फंड स्कीम का लॉन्च भारत की वैज्ञानिक यात्रा में एक बड़ा मील का पत्थर था।
केंद्रीय मंत्री सिंह ने लिखा, "इस कॉन्क्लेव ने 'होल-ऑफ-गवर्मेंट + होल-ऑफ नेशन' के दृष्टिकोण का उदाहरण पेश किया। यंग रिसर्चर्स और डीप-टेक स्टार्टअप नए भारत के इनोवेशन की भावना को दर्शाते हैं। एकेडेमिया-उद्योग-सरकार का सहयोग लंबे समय तक रिसर्च के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।"
--आईएएनएस
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