पटना, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के समस्तीपुर जिले में कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र सिर्फ एक भौगोलिक नाम नहीं, बल्कि पूसा की कृषि क्रांति और राजनीतिक वर्चस्व की एक रोमांचक कहानी है।
कल्याणपुर की पहचान पूसा में स्थित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय से जुड़ी है। यह विश्वविद्यालय न केवल वैज्ञानिकों को तैयार करता है, बल्कि खेती को एक लाभदायक व्यवसाय बनाने की नींव रखता है। यहीं पर पूसा राइस डीएसटी-1 जैसी उन्नत किस्में विकसित की गई हैं, जिन्हें कम पानी और कम उर्वरक की जरूरत होती है।
विश्वविद्यालय कल्याणपुर समेत आस-पास के खेतों में ट्रायल करता है, किसानों को आधुनिक तकनीक, मृदा स्वास्थ्य और कीट नियंत्रण की ट्रेनिंग देता है। उन्नत बीजों की आपूर्ति और जैविक खेती को बढ़ावा देने से, यहां के किसान हर मौसम में प्रगति कर रहे हैं।
खेती के साथ-साथ, स्थानीय अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ पशुपालन भी है। डेयरी उद्योग यहां के लोगों की अच्छी-खासी आमदनी का स्रोत है। खेती की इस उपज को बाजार देने के लिए समस्तीपुर मुख्यालय (12 किमी दूर) मुख्य केंद्र है, जबकि दलसिंहसराय, रोसड़ा और दरभंगा जैसे बाजार भी किसानों की पहुंच में हैं।
राजनीतिक रूप से कल्याणपुर की यात्रा 1967 में शुरू हुई थी। शुरुआती दशकों में यहां कोइरी जाति का वर्चस्व साफ दिखता था। यह सीट सामान्य मानी जाती थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग ने एक ऐसा निर्णय लिया, जिसने इस क्षेत्र की राजनीतिक तस्वीर को हमेशा के लिए बदल दिया। इस सीट को अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षित कर दिया गया।
यह आरक्षण एक बड़ा मोड़ साबित हुआ। 2010 के बाद से चुनाव परिणामों पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं का असर स्पष्ट रूप से दिखने लगा, जिसका सीधा लाभ जनता दल (यूनाइटेड) को मिला।
कल्याणपुर ने कुल 16 विधानसभा चुनाव देखे हैं। जदयू ने (2000 में समता पार्टी के रूप में भी) 6 बार जीत हासिल की है। कांग्रेस को 3 बार और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व राजद को 2-2 बार सफलता मिली है। लेकिन 2010 के बाद से, जदयू की जीत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसमें 2013 का उपचुनाव भी शामिल है।
कल्याणपुर के चुनावी इतिहास में महेश्वर हजारी का नाम पिछले एक दशक से मजबूती से खड़ा है। उन्होंने लगातार दो बार इस सुरक्षित सीट पर जदयू का परचम लहराया था।
2015 के विधानसभा चुनाव में, महेश्वर हजारी ने लोक जनशक्ति पार्टी के प्रिंस राज को बड़ी चुनौती दी। इस मुकाबले में हजारी ने शानदार प्रदर्शन किया और 50.40 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 84,904 वोट हासिल किए। उन्होंने प्रिंस राज (जिन्हें 47,218 वोट मिले, 28.03 प्रतिशत) को 37,686 वोटों के भारी अंतर से हराया और अपनी जीत की नींव रखी।
2020 के चुनावों में लड़ाई और भी करीबी हो गई। महेश्वर हजारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिब्रेशन) के उम्मीदवार रंजीत कुमार राम के सामने थे। यह कांटे का मुकाबला था, लेकिन जदयू उम्मीदवार हजारी ने एक बार फिर जीत दर्ज की। उन्होंने रंजीत कुमार राम को 10,251 वोटों के अंतर से शिकस्त देकर अपनी सीट बरकरार रखी।
नवंबर महीने में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा में कल्याणपुर की लड़ाई और भी दिलचस्प होने वाली है।
इस सुरक्षित सीट पर जदयू को कड़ा मुकाबला मिलने की उम्मीद है। कल्याणपुर में पारंपरिक रूप से लोजपा जदयू की मुख्य प्रतिद्वंदी रही है। अब जब लोजपा (रामविलास) वापस एनडीए के पाले में आ चुकी है, तो राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं।
माना जा रहा है कि विरोधी वोटों का बिखराव कम हो सकता है, जिसका सीधा फायदा एनडीए को मिल सकता है। इसका स्पष्ट संकेत 2024 के लोकसभा चुनाव में मिला था, जब एनडीए की उम्मीदवार शंभवी चौधरी ने समस्तीपुर संसदीय सीट के कल्याणपुर विधानसभा खंड में 34,228 मतों की बड़ी बढ़त हासिल की थी।
--आईएएनएस
वीकेयू/डीएससी