बिहार की सियासत पर विधानसभा चुनाव का परिणाम असर डालेगा !

प्रतीकात्मक तस्वीर

पटना, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। आम तौर पर हिंदी क्षेत्रों में हुए चुनाव परिणाम का प्रभाव बिहार की सियासत पर पड़ता रहा है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना के चुनाव परिणाम आने के बाद भी माना जा रहा है कि यह आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति पर भी बड़ा प्रभाव डालेंगे।

बिहार में भले नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के अलग होने के बाद भाजपा ने सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों में तैयारी शुरू कर दी है। तीन राज्यों में स्पष्ट बहुमत वाली जीत ने प्रदेश भाजपा में एक जान फूंक दी है, वहीं विपक्ष कांग्रेस काफी चिंता में है।

इसमें कोई शक नहीं है कि बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन जातीय गणना और आरक्षण की सीमा को बढ़ाए जाने के बाद उत्साहित दिख रही थी। इन प्रदेशों के चुनाव में कांग्रेस ने भी जातीय गणना को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की थी, लेकिन जिस तरह जनादेश आया, उससे इस मुद्दा को लेकर फ्रंटफुट पर गई महागठबंधन बैकफुट पर पहुंच गई लगती है।

वैसे इस परिणाम का सबसे अधिक प्रभाव इंडिया गठबंधन पर देखने को मिलने की संभावना जताई जा रही है। चुनाव परिणाम के बाद जिस तरह जदयू के नेता आक्रामक तरीके से कांग्रेस की हार बता रहे हैं, उससे साफ है कि इस परिणाम से कहीं न कहीं जदयू खुश है।

दीगर बात है कि मध्य प्रदेश में जदयू के भी उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है। जदयू के प्रदेश महासचिव निखिल मंडल ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला है और कहा कि अब 'इंडिया गठबंधन' को नीतीश कुमार के अनुसार चलना चाहिए।

कांग्रेस पर तंज कसते हुए निखिल मंडल ने कहा कि पिछले कुछ समय से कांग्रेस पांच राज्यों के चुनावों में व्यस्त रही, जिसके वजह से इंडिया गठबंधन पर ध्यान नहीं दे पा रही थी और अब तो कांग्रेस चुनाव लड़ भी चुकी है और नतीजे भी सबके सामने हैं। नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सूत्रधार हैं और वही इस नैया को पार करा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही इंडिया गठबंधन में सुस्ती के लिए कांग्रेस पर ठीकरा फोड़ चुके हैं। वैसे, माना जा रहा है कि इस चुनाव परिणाम से कांग्रेस की स्थिति इंडिया गठबंधन में कमजोर होगी। वैसे बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश सिंह कहते हैं कि हार की समीक्षा की जाएगी। इसकी उम्मीद नहीं थी।

--आईएएनएस

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